Wednesday, 14 May 2014

लम्हे

ज़िन्दगी के लम्हे है बस एक यादोँ का ज़रिया, 
ये कभी ना रुकने वाला पानी है। 
वक्त के ढलते, वादियों का नज़रिया,
ये सिर्फ एक परछाई का ऐहसास दिलाने वाले है। 

हम चाहते है इन लम्हों में घुलना, 
इनसे बिछड़ने का दर्द हम सह नहीँ सकते।
इनमे रहते है हमारे कई नूरानी चेहरे, 
जिनसे हम कभी मुँह मोड़ नहीं सकते।

वादों का काफ़िला लेकर चलते है ये लम्हे,
बीती बातों का एक बवंडर है इनमेँ।
लोग चाहे एक दूसरे को भुलादे, 
मगर ये लम्हे साथ लेकर है सब्को चलते। 

याद रखना ऐ मेरे दोस्त तू , 
भले ही चला जाए मुझसे दूर।  
तेरे हर एहसास और याद का हमनें बना दिया है लम्हा, 
अब तो बस हम इनमे ही घूमते रहते। 






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