सूरज की एक सुनहरी किरन से,
दिन का स्वागत होता है।
चाँद कि अदभुत चाँदनी से,
उस दिन को अलविदा कह दिया जाता है।
एक नए सपने को सजाने के लिए,
उस दिन कि शुरुआत होती है।
निकल पड़ता है हर आदमी अपने घर से,
एक नई किरन को फैलाने के लिए।
दिन भर की मेहनत और भागदौड़ से,
शरीर चूर -चूर हो जाता है।
पर वो हस्ते हुए लोगो के चैहरे,
दिल में एक नई उमंग भर देता है।
सांस लेने कि फुर्सत नही मिलती,
ऐसे मशगूल हो जाते है लोग अपने व्यवसाय मे,
सुबह ने कब शाम कि चादर औड़ ली,
वक़्त के उस चक्रव्यू का पता ही नही चल पाता।
दिन -दिन करके महीने बीतते,
फिर सालोँ का सफर तय किया जाता।
ख्वाबों की इस नगरी में,
खुद के अक्स को भुला दिया जाता।
मीलों के सफर को तय करने के बाद,
तकलीफों और मुसीबतों के गुज़रने के बाद,
कामयाबी कि लहर जब आत्मा को छूती है,
उस रास्ते कि हर परेशानी को ख़ुशी मे बदल देती है।
दिन के उजाले से रात के अंधेरे तक,
हर आदमी अपने परिवार के लिए दिन -रात मेहनत करता है।
एक -एक घंटे को मिलाकर जब वर्षोँ में गिना जाता है,
तब एक खिलखिलाता आशियाना त्यार होता है।
दिन का स्वागत होता है।
चाँद कि अदभुत चाँदनी से,
उस दिन को अलविदा कह दिया जाता है।
एक नए सपने को सजाने के लिए,
उस दिन कि शुरुआत होती है।
निकल पड़ता है हर आदमी अपने घर से,
एक नई किरन को फैलाने के लिए।
दिन भर की मेहनत और भागदौड़ से,
शरीर चूर -चूर हो जाता है।
पर वो हस्ते हुए लोगो के चैहरे,
दिल में एक नई उमंग भर देता है।
सांस लेने कि फुर्सत नही मिलती,
ऐसे मशगूल हो जाते है लोग अपने व्यवसाय मे,
सुबह ने कब शाम कि चादर औड़ ली,
वक़्त के उस चक्रव्यू का पता ही नही चल पाता।
दिन -दिन करके महीने बीतते,
फिर सालोँ का सफर तय किया जाता।
ख्वाबों की इस नगरी में,
खुद के अक्स को भुला दिया जाता।
मीलों के सफर को तय करने के बाद,
तकलीफों और मुसीबतों के गुज़रने के बाद,
कामयाबी कि लहर जब आत्मा को छूती है,
उस रास्ते कि हर परेशानी को ख़ुशी मे बदल देती है।
दिन के उजाले से रात के अंधेरे तक,
हर आदमी अपने परिवार के लिए दिन -रात मेहनत करता है।
एक -एक घंटे को मिलाकर जब वर्षोँ में गिना जाता है,
तब एक खिलखिलाता आशियाना त्यार होता है।
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