धुंदली सी उन हवाओं में,
एक चेहरा दिखाई देता है।
अनजाने से उस एहसास में,
एक चेहरा दिखाई देता है।
रूह की उस परछाई में,
एक चेहरा दिखाई देता है।
मौसम के उस सिलवटों में,
एक चेहरा दिखाई देता है।
सूरज की उस किरण में,
एक चेहरा दिखाई देता है।
चाँद की उस चांदनी में,
एक चेहरा दिखाई देता है।
सागर की उस गहराई में,
एक चेहरा दिखाई देता है।
आसमां के उन बादलों में,
एक चेहरा दिखाई देता है।
सुबह के उजाले में,
एक चेहरा दिखाई देता है।
रात के अँधेरे में,
एक चेहरा दिखाई देता है।
ये चेहरा है अजनबी,
पहचाना नहीं जाता।
इस चेहरे में छुपा है किसी का अक्स,
पर वो हमें दिखाई नहीं देता।
दिन गए , महीने निकले,
अन्जान है अब तक वो चेहरा।
ना आहट है , ना सरसराहट है,
बस गुमशुदा है वो चेहरा।
एक चेहरा दिखाई देता है।
अनजाने से उस एहसास में,
एक चेहरा दिखाई देता है।
रूह की उस परछाई में,
एक चेहरा दिखाई देता है।
मौसम के उस सिलवटों में,
एक चेहरा दिखाई देता है।
सूरज की उस किरण में,
एक चेहरा दिखाई देता है।
चाँद की उस चांदनी में,
एक चेहरा दिखाई देता है।
सागर की उस गहराई में,
एक चेहरा दिखाई देता है।
आसमां के उन बादलों में,
एक चेहरा दिखाई देता है।
सुबह के उजाले में,
एक चेहरा दिखाई देता है।
रात के अँधेरे में,
एक चेहरा दिखाई देता है।
ये चेहरा है अजनबी,
पहचाना नहीं जाता।
इस चेहरे में छुपा है किसी का अक्स,
पर वो हमें दिखाई नहीं देता।
दिन गए , महीने निकले,
अन्जान है अब तक वो चेहरा।
ना आहट है , ना सरसराहट है,
बस गुमशुदा है वो चेहरा।
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